देश में हर तीन में से दो व्यक्ति में कोरोना की एंटीबाडी बन चुकी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सीरो सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। सीरो सर्वे के अनुसार अब भी देश में लगभग 40 करोड़ यानी 33 फीसद ऐसे लोग हैं, जिनमें कोरोना की एंटीबाडी नहीं पाई गई है और इन लोगों के कोरोना वायरस की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है। इसको देखते हुए लोगों से गैरजरूरी यात्रा टालने और कोरोना से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की गई है। आइसीएमआर के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने बताया कि चौथा राष्ट्रीय सीरो सर्वे जून-जुलाई में 70 जिलों में कराया गया और इनमें 6-17 साल के बच्चों को भी शामिल किया गया था। इसमें 67.6 फीसद लोगों में कोरोना की एंटीबाडी पायी गई। इसका मतलब है कि देश की दो तिहाई आबादी सार्स-कोव-2 से संक्रमित हो चुकी है। इससे पहले दिसंबर-जनवरी में कराए गए तीसरे सीरो सर्वे में 24.1 फीसद, पिछले साल अगस्त-सितंबर में हुए दूसरे सीरो सर्वे में 7.1 फीसद और पिछले साल ही मई-जून में हुए किए गए पहले सीरो सर्वे में केवल 0.7 फीसद लोगों में कोरोना की एंटीबाडी पाई गई थी।
हर्ड इम्युनिटी की दहलीज पर देश
सामान्य तौर पर माना जाता है कि 70 फीसद आबादी में एंटीबाडी बनने के बाद समाज में संक्रमण के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी यानी सामुदायिक प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है। इस तरह भारत में हर्ड इम्युनिटी की स्थिति पैदा हो गई है, लेकिन देश की बड़ी आबादी को देखते हुए आइसीएमआर इसका का दावा करने से बच रहा है। डा. भार्गव ने कहा कि दो-तिहाई आबादी में एंटीबाडी बनने के बावजूद बड़ी संख्या ऐसी है जो आसानी से कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकती है और तीसरी लहर का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे लोगों की संख्या लगभग 40 करोड़ है।