ओम मंत्र जप करने के फायदे हैं अनेक

सृष्टि के आरंभ में एक ध्वनि गूंजी ओम और पूरे ब्रह्माण्ड में इसकी गूंज फैल गयी। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए। इसलिए ओम को सभी मंत्रों का बीज मंत्र और ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है। ओम शब्द अ, उ, म तथा चंद्र से मिलकर बना है। इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि, ओम शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है और रोग एवं तनाव से मुक्ति मिलती है।
इसलिए धर्म गुरू ओम का जप करने की सलाह देते हैं। जबकि वास्तुविदों का मानना है कि ओम के प्रयोग से घर में मौजूद वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है। ओम मंत्र को ब्रह्माण्ड का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि ओम में त्रिदेवों का वास होता है इसलिए सभी मंत्रों से पहले इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है जैसे ओम नमो भगवते वासुदेव, ओम नमः शिवाय। आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि नियमित ओम मंत्र का जप किया जाए तो व्यक्ति का तन मन शुद्घ रहता है और मानसिक शांति मिलती है। ओम मंत्र के जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है और मुक्ति पाने का अधिकारी बन जाता है। ओम मंत्र के जप का एक बड़ा फायदा यह भी है कि इससे मन में आने वाले अनजाने भय दूर हो जाते हैं और व्यक्ति में साहस और लक्ष्य प्राप्ति का उत्साह बढ़ जाता है। विज्ञान और चिकित्सकीय परीक्षणों से भी ओम मंत्र के जप को बड़ा ही लाभप्रद माना गया है। रिसर्च एंड इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस के प्रमुख प्रोफेसर जे. मार्गन और उनके सहयोगियों ने सात वर्ष तक ओम मंत्र के प्रभावों का अध्ययन किया। अपने अध्ययन में उन्होंने पाया कि ओम मंत्र के जप से हृदय एवं मस्तिष्क रोग से गंभीर रूप से पीड़ित व्यक्तियों को बहुत ही लाभ मिला। ओम मंत्र का उच्चारण शरीर में मौजूद कई मृत कोशिकाओं को पुनः जीवित कर देता है जिससे गंभीर से गंभीर रोंगों में भी यह बड़ा लाभप्रद होता है। हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हारबर्ट बेन्सन ने एक शोध में यह बताया कि एड्स की बीमारी में भी ओम का जप फायदेमंद होता है।