अग्निवीरों की भर्ती से लेकर ट्रेनिंग और फिर पोस्टिंग तक, NSA अजीत डोभाल ने क्या कहा?

पहली बार देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजीत डोभाल ने किसी मसले पर वन टू वन इंटरव्यू दिया। ये मसला था अग्निपथ योजना का। इसके जरिए सेना में युवाओं को चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। जिन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। योजना का विरोध कर रहे युवाओं को संदेश देने के लिए एनएसए अजीत डोभाल सामने आए और उन्होंने खुलकर अग्निपथ योजना से जुड़े हर मसले पर बातचीत की।

क्यों लाई गई अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना समय की जरूरत है। भारत के आसपास माहौल बदल रहा है। बदलते समय के साथ सेना में बदलाव जरूरी है। इसे एक नजरिए से देखने की जरूरत है। अग्निपथ अपने आप में एक स्टैंडअलोन योजना नहीं है। 2014 में जब पीएम मोदी सत्ता में आए, तो उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक भारत को सुरक्षित और मजबूत बनाना था। ये योजना उसी का एक हिस्सा है।

सेना को क्या फायदा मिलेगा?
देश को सुरक्षित करने के लिए तकनीक, हाईटेक हथियार, सिक्योर डिफेंस कम्युनिकेशन के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। हमने नई-नई तकनीक का प्रयोग शुरू किया है। यहां तक की हमने स्पेस पॉवर में भी बड़ी सफलता हासिल की है। इसको ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं की जरूरत पड़ेगी जो तकनीक के मामले में दक्ष होते हैं। अग्निपथ योजना इसी का एक हिस्सा है। इससे हमें बड़ी संख्या में टेक फ्रेंडली युवा मिलेंगे।

छह महीने में रडार से लेकर पनडुब्बी तक का कठिन प्रशिक्षण कैसे दिया जा सकता है?
यह कितना बड़ा विरोधाभास है कि भारत की आबादी दुनिया में सबसे युवा है लेकिन उसकी सेना सबसे ज्यादा उम्रदराज है। अग्निवीर से कभी पूरी आर्मी नहीं बनेगी। हम अग्निवीरों को चार वर्ष तक परखेंगे और तब पता चलेगा कि वो कौन से 25 प्रतिशत अग्निवीर हैं जिन्हें आगे ले जाना है। परमानेंट सर्विस वाले अग्निवीरों को हर तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसलिए यह मत समझिए कि भारतीय सेना चार वर्ष की सेवा वाले अग्निवीरों के भरोसे ही रहेगी बल्कि भारतीय सेना क्रीम सोल्जरों से मिलकर बनेगी।

चार साल बाद क्या करेंगे अग्निवीर?
सोचिए 22-23 वर्ष का युवक चार वर्ष अग्निवीर के रूप में गुजारकर जॉब मार्कट में आया है। उसकी तुलना उस युवक से कीजिए जो अग्निवीर नहीं बना। जो अग्निवीर अपने प्रतिस्पर्धी के मुकाबले हर मोर्चे पर आगे रहेगा। इसलिए उसके पास कोई रास्ता बंद नहीं हुआ है। उसके पास करीब 11 लाख रुपये भी हैं। अगर वह चाहे तो पढ़ाई कर सकता है, कोई बिजनेस कर सकता है। पहले का जमाना अलग था। उस वक्त सैनिक रिटायर होने के बाद अपने गांव चला जाता था और वहां अपनी जमीन से अन्न उपजाता था और पेंशन से बाकी खर्चे निकल जाते थे। आज वो हालात नहीं रह गए हैं। सेना में चार साल बिताने के बाद अग्निवीर जब वापस जाएगा तो वह स्किल्ड और ट्रेन्ड होगा। वह समाज में सामान्य नागरिक की तुलना में कहीं ज्यादा योगदान कर पाएगा। पहला अग्निवीर जब रिटायर होगा तो 25 साल का होगा। उस वक्त भारत की इकनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर की होगी। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को ऐसे लोग चाहिए होंगे। सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेज, राज्य पुलिस समेत अन्य कई भर्तियों में ऐसे ट्रेंड युवाओं की जरूरत होगी। सभी विभागों ने पहले ही अग्निवीरों को नौकरी में वरीयता देने का एलान कर दिया है।

जब इतनी अच्छी योजना फिर विरोध क्यों?
दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं, एक तो वे हैं जिन्हें चिंता है, उन्होंने देश की सेवा भी की है। जबकि दूसरे वो हैं जिन्हें देश की शांति, सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है। वे बस ऐसे मुद्दे ढूंढ़ते हैं जहां भावुकता को बढ़ावा दिया जा सकता है। जो अग्निवीर बनना चाहते हैं, वो इस तरह हिंसा नहीं करते। कुछ लोग जिनके पश्चिमी हित हैं। कोचिंग चला रहे हैं। यह देखते हुए हमें अंदाजा था कि ऐसा होगा। लेकिन इस बार उन्होंने प्रदर्शन की हदें पार कीं। राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बनने लगे। ऐसे लोगों पर सख्ती करनी पड़ेगी। लोकतंत्र में विरोध की इजाजत है, अराजकता की नहीं। जब भी कोई बदलाव आता है कुछ चिंताएं उसके साथ आती हैं। हम इसे समझ सकते हैं। जैसे-जैसे उन्हें पूरी बात का पता चल रहा है वे समझ रहे हैं।

अग्निपथ योजना को वापस लिया जाएगा?
नहीं, इस योजना के रोलबैक का सवाल ही नहीं है। ये योजना देश के लिए जरूरी है। युवाओं के लिए जरूरी है।

क्या सेना में सिर्फ अग्निवीर ही होंगे?
अकेले अग्निवीर पूरी आर्मी में कभी नहीं होंगे। सेना का बड़ा हिस्सा अनुभवी लोगों का होगा। चार साल काम करने के बाद जो अग्निवीर नियमित किए जाएंगे, उन्हें बाद में ट्रेनिंग दी जाएगी।