मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री का सेहरा किस आदिवासी, ओबीसी पिछड़ा वर्ग या दलित के विधायक के सिर पर बांधता है.
पिछले कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन की बातें चल रही है मध्य प्रदेश की सरकार का नेतृत्व करते हुए शिवराज सिंह चौहान को लगभग लगभग 14 साल हो गए हैं केंद्रीय भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व चाहता है अगला विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश किसी नए आदिवासी दलित या पिछड़ा वर्ग के नेता के चेहरे को आगे लाकर लड़ा जाए क्योंकि मध्य प्रदेश में लगभग लगभग 80 से 82% इसी समाज के लोग वोटर हैं पूर्व में कई बार भारतीय जनता पार्टी पर ब्राह्मण और बनियों की पार्टी कहकर दिग्विजय सिंह ने कई बार पार्टी को कटघरे में खड़ा किया है और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के संगठन में जो पदाधिकारी हैं वह अधिकतर ब्राह्मण समाज से आते हैं पिछले साल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने प्रदेश के अधिकतर जिला संगठन के अध्यक्ष घोषित किए गए थे उनमें अधिकतर ब्राह्मण समाज के जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इसी तारतम्य में भारतीय जनता पार्टी में जो पिछड़े वर्ग और समाज के नेता है जिनमें उज्जैन से पूर्व उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और वर्तमान में विधायक और मंत्री श्री मोहन यादव शाजापुर से वरिष्ठ विधायक और मंत्री इंदर सिंह परमार दमोह से सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के नाम उल्लेखनीय है यह तीनों नेता पूर्व में विद्यार्थी परिषद के नेता रह कर विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं एक नाम सतना से पांच बार के सांसद गणेश सिंह का भी है गणेश सिंह युवा भी है और अनुभवी भी और लगातार सतना से भारतीय जनता पार्टी का झंडा बुलंद किए हुए हैं दूसरी तरफ आदिवासी नेताओं में फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी विचाराधीन है फग्गन सिंह कुलस्ते मध्य प्रदेश सरकार में और केंद्रीय सरकार में मंत्री रह चुके हैं और कार्य कर रहे हैं फग्गन सिंह कुलस्ते मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज के भारतीय जनता पार्टी के मुख्य वरिष्ठ अनुभवी नेता है उनका नाम कई बार प्रदेश अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के लिए भी चला है एक और अन्य नाम मीना सिंह का है मीना सिंह 5 बार की विधायक हैं वह भी मुख्यमंत्री की दौड़ में महिला और आदिवासी होने के नाते शामिल हैं इन्हीं के साथ संपतिया उइके और गजेंद्र पटेल सांसद का भी नाम चर्चा में है ग्वालियर विभाग में भारतीय जनता पार्टी के ओरिजिनल विधायक के रुप में भरत सिंह कुशवाहा का नाम भी इस दौड़ में शामिल है क्योंकि शेष ग्वालियर अंचल के सारे विधायक ज्योतिराज सिंधिया के साथ भाजपा में आए हुए हैं इन सब पिछड़ा वर्ग और आदिवासी विधायकों के नाम पर विश्लेषण किया जा रहा है इनमें से कोई एक अगला मुख्यमंत्री के रूप में मध्य प्रदेश सरकार संभालेगा और उसी के नेतृत्व में अगला मध्य प्रदेश का विधान सभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी लड़ेगी अब यह देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री का सेहरा अपने किस वरिष्ठ अनुभवी आदिवासी ओबीसी पिछड़ा वर्ग या दलित के विधायक के सिर पर बांधती है.