भैया जी के सपनों का खूबसूरत शहर

भैया जी शहर के जाने माने समाजसेवी, युवा सम्राट, लोकप्रिय जन नेता और न जाने कितनी ही सामाजिक उपाधियों से विभूषित हैं। वे हर समय अपने प्यारे शहर के विकास के लिए चिंतित रहते हैं। जब भी किसी से मिलते, हमेशा शहर के विकास की ही बात करते हैं। वे अक्सर कहते – मेरा सपना, अपने शहर को दुनिया का सबसे अच्छा और सुंदर शहर बनाने का है। बड़े सयाने कहे गए हैं….. सपना हमेशा बड़ा देखना चाहिए। सपना देखने में तो कोई बुराई नहीं है। बस यही बात भैया जी ने दिल पर ले ली, ऐसा ही लगता है। तभी तो उन्होने अपने शहर को विश्वस्तरीय शहर बनाने का सपना देखा है। एक सामान्य व्यक्ति सपना तो बंद आँखों से देखता है लेकिन वे अक्सर खुली आँखों से विकसित शहर की कल्पना करते और सपना भी देखते हैं । वे खुली आँखों से सपना देखते हुए अक्सर बड़बड़ाते रहते – शहर में यातायात व्यवस्था माकूल हो गई है। मैट्रो ट्रेन चलने लगी है। शहर के बीचों बीच बहने वाली नदी के दोनों ओर मीलों तक बगिया खिल गई है और भीनी – भीनी खुशबू का आनंद लेते हुये शहरवासी प्रसन्नचित्त होकर नदी में नौकायान की सवारी का लुत्फ उठा रहे हैं। शहर में अनेकों फ्लाई ओवर ब्रिज बन गए हैं। शहर में अपराध समाप्त हो गए हैं। चारों ओर अमन – चैन है। यानि राम राज्य का सपना साकार हो रहा है।

कुछ बरस पहले भैया जी बंगलुरु गए थे। वापस आने के बाद उन्होने प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन कर अपना वक्तव्य जारी किया… हम अपने शहर को बंगलुरू की तर्ज पर विकसित करेंगे। शहर की सड़कें अभिनेत्री के गाल के समान चिकनी बनाएँगे। सभी चौराहों पर फव्वारे लगवाएंगे। सड़कों के दोनों ओर फूलों की क्यारियाँ होंगी। रंग – बिरंगे और खूशबूदार फूलों को छूकर बहने वाली हवाएँ नागरिकों के लिए उपहार होगी। और भी कई बातें बताई और समाचार पत्रों ने भी प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर नागरिकों तक यह बात पहुंचा दी कि भैया जी के प्रयासों से अब शहर का कायाकल्प होने जा रहा है। भैयाजी ने यह भी बताया कि अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधि मण्डल को बंगलौर भेजा जाएगा ताकि वह दल वहाँ की नागरिक सुविधाओं का अध्ययन कर अपने शहर में भी वे सभी सुविधाएं जुटाने के लिए अपनी रिपोर्ट देगा, जो बंगलुरू में हैं। विकास निरंतर प्रक्रिया है और भैयाजी को विकास की नब्ज मालूम है । भैयाजी के ईशारों को अधिकारी भी बेहतर समझते हैं । अधिकारीगण तो इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि वे भैया जी के हिलते होंठ देखते ही बता देते हैं कि भैया जी क्या बोल रहे हैं ? भैयाजी को विकास का रोग लग गया है और इसका ईलाज केवल विकास से ही संभव है। अब भैयाजी लगातार अलग – अलग शहरों का दौरा करने जाते हैं और वहाँ जो भी नया काम और नागरिक सुविधाएं देखते या अपने शहर में जो सुविधाएं नहीं होती, डायरी में लिखकर लाते । शहर वापस आने के बाद यह घोषणा जरूर करते कि हम अपने शहर को उस शहर की तर्ज पर विकसित कर देश और विश्व का सबसे सुंदर शहर बनाएँगे।

हर शहर की कुछ न कुछ खासियत होती है और भैयाजी की पारखी नजरों से वह चूक जाये…. असंभव । यानि भैया जी ने अपने शहर के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, मनोरंजन, बाग – बगीचे, यातायात, लोक परिवहन, कचरा प्रबंधन आदि के लिए समुचित सुविधायेँ जुटाने का संकल्प ले लिया है। भैया जी के बाद अधिकारियों का अध्ययन दल भी उस शहर का दौरा करने जरूर जाता है जहां भैया जी हाल ही में अपना सफल दौरा पूरा कर वापस आए हैं। इसी तरह भैयाजी ने अपने शहर को दस – पंद्रह शहरों के समान विकसित करने की घोषणा कर दी है। भैयाजी एक दिन शहर की एक घनी आबादी वाली बस्ती में मिल गए। नमस्कार चमत्कार के बाद बातचीत के दौरान मेंने उनसे कहा – भैया जी, कुछ बरसों में आपने जो घोषणाएँ की हैं। वे तो अभी तक पूरी होनी तो दूर, शुरू ही नहीं हुई हैं। शहर के नागरिक कानाफूसी करने लगे हैं कि भैयाजी केवल घोषणाएं ही करते हैं। अब तो वे आपको घोषणावीर तक कहने लगे हैं। सुना तो यहाँ तक है कि वे आपका नागरिक अभिनंदन करने का विचार कर रहे हैं और उस समारोह में आपको घोषणावीर की उपाधि से अलंकृत करने की तैयारी कर रहे हैं। भैया जी मुस्कराते हुये दार्शनिक अंदाज में बोले – बस, यही कमी है हमारे शहर के नागरिकों की। कोई अलाउद्दीन का चिराग तो है नहीं, इधर घोषणा की और उधर काम हो जाये। शासकीय कार्य की एक प्रक्रिया होती है। मैंने टोकते हुए कहा- लेकिन कुछ घोषणाओं को तो आठ – दस बरस हो गए हैं। उन्होने कहा- बीति ताही बिसारी दे, आगे की सुधि लेई । उन्होने बताया – मैंने जो तरक्की और नागरिक सुविधाएं उन शहरों और देशों में देखी थी, वहाँ नागरिक सुविधाओं और विकास में बहुत ज्यादा इजाफा हो गया है। यदि हम आज से दस – पंद्रह बरस पुरानी सुविधाएं जुटाएँगे और काम करेंगे तो उनकी बराबरी कैसे कर पाएंगे? अब हमें फिर से कार्ययोजना बनानी होगी। कार्ययोजना बनाने के लिए फिर से उन शहरों और देशों का दौरा कर सुविधाओं और विकास कार्यों का अध्ययन करना होगा। हम इस बार कोई भी गफलत में नहीं रहेंगे। चाहे कुछ भी हो जाये… आने वाले चुनाव के पहले सभी काम पूरे हो जाएँगे। मुझे उनके चेहरे पर आत्म विश्वास देखकर महसूस हुआ कि भैयाजी इस बार अपनी घोषणाओं को जरूर पूरा करेंगे। भैयाजी को नमस्ते कर जैसे ही मैं आगे बढ़ा – भैया जी किसी पर ज़ोर से चिल्ला रहे थे- देखकर नहीं चल सकते। गड्डे देखकर गाड़ी चलाया करो। मैंने देखा – भैयाजी के सफ़ेद चक कुर्ते पर कीचड़युक्त पानी से माडर्न आर्ट चित्रांकन हो चुका था। कुछ छींटे चेहरे पर भी लग गए थे। मैंने अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया और अनजान बनकर वहां से अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा। जैसे कुछ देखा और सुना ही नहीं। मन में बार – बार यही विचार कौंधता रहा- भैया जी को किसी की बुरी नजर न लग जाये। यह शहर के विकास के लिए अति आवश्यक है। फिर तुरंत ही याद आया… भैयाजी को नजर नहीं लगेगी क्योंकि उनके चहरे पर काजल के स्थान पर कीचड़ लग गया है। कीचड़ और काजल … दोनों से ही नजर नहीं लगती है।