नई शिक्षा नीति का देश में पुरजोर स्वागत
पीएम ने कहा कि न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी कहना चाहिए। दुनियाभर में शिक्षा के नीति के निर्धारण में इतने लोगों को शामिल करना एक रिकॉर्ड है। ग्रामीण, शहरी, छात्र और छात्राओं सभी स्तर पर चर्चा और शोध कर के ड्राफ्ट तैयार किया गया। इसके बाद इसे लोगों के पास भेज कर लाखों इनपुट्स लिए गए उसके बाद इसे लाया गया। खेल-कूद को इसमें अनिवार्य किया गया। देश के हर तबके ने इसका पुरजोर स्वागत किया है।
इस साल नया साहस करूंगा- पीएम मोदी
पीएम ने बच्चो से कहा की वह इस साल नया साहस करने वाले हैं। समय-सीमा के समाप्त होने के बाद भी वह छात्रों के सवालों के जवाब देंगे। इसके लिए टेक्स्ट, नमो एप आदि की मदद ली जाएगी।
परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है
पीएम ने कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। छोटा पड़ाव है। हम एग्जाम देते-देते एग्जाम प्रूफ हो गए हैं। अब इसका अनुभव आपकी ताकत है। मेरा सुझाव है कि बोझ के साथ जीना है या जो तैयारी की है उसपर विश्वास के साथ आगे बढ़ना है। तनाव को पनपने मत दीजिए। अपनी सामान्य दिनचर्या को ही जारी रखें।
ऑनलाइन पढ़ाई पर भी हुए सवाल
पीएम मोदी से ऑनलाइन एजुकेशन पर छात्रों और शिक्षकों दोनों ने सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा चुनौतिपूर्ण है। इसमें कैसे सुधार लाया जाए। पीएम ने कहा कि जब आप ऑनलाइन होते हैं तो पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? पीएम ने कहा कि दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं हैं। जब आपका दिमाग कहीं और हो तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन हैं वही चीजें ऑफलाइन भी हैं।
ऑनलाइन शिक्षा समस्या नहीं बल्कि अवसर
ऑनलाइन शिक्षा को समस्या नहीं बल्कि अवसर मानना चाहिए। माध्यम नहीं बल्कि मन समस्या है। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन अवसर के लिए हैं। जीवन में खुद से जुड़ना जरूरी। दिन में कुछ समय ऑफलाइन-ऑनलाइन के बजाय इनर लाइन भी रहें।
बीसवीं सदी की नीति से 21वीं सदी का निर्माण असंभव
पीएम मोदी ने कहा कि 20वीं सदी की नीति और सोच को लेकर 21वीं सदी का निर्माण असंभव है। नई शिक्षा नीति के लागू होने की देरी से देश का नुकसान हुआ। इस नीति में छात्रो को कहीं अधिक मौके मिले हैं। अगर कोई छात्र किसी कोर्स में प्रवेश ले चुका है और उसे आगे लगे की वह कुछ और करना चाहता है तो उसके लिए नई शिक्षा नीति में मौका है।
क्या परीक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए?
परीक्षा पे चर्चा के दौरान छात्राओं ने पीएम मोदी से सवाल किया की क्या परीक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। घरवालों और शिक्षकों से डरें या फिर इसे त्योहार की तरह मनाना चाहिए? इस पर पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक और परिजन जो अपने बाल काल में नहीं कर पाए वह चाहते हैं उसे बच्चा पूरा करे। हम बच्चों की सीमा अपेक्षा और खूबी को बिना पहचाने धक्का मारते हैं। अपने आशाओं के कारण बच्चों पर बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक और परिजन की बात भी सुननी है और हमें उन चीजों पर भी ध्यान देना है कि हम किसमें सामर्थ्य हैं।
मोटिवेशन का कोई फॉर्मूला नहीं
पीएम मोदी ने छात्रों को कहा कि पहले खुद को ऑब्जर्व करें कि किस बात से आप डिमोटिवेट हो जाते हैं। फिर आप यह देखें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से मोटिवेट करती है। आपको खुद के विषय में एनालिसिस की जरूरत है। किसी का सहारा या सहानूभूति लेने की कोशिश न करें। खुद की हिम्मत से काम लें।
परीक्षा से डरने की जरूरत नहीं
पीएम ने कहा कि परीक्षा से डरने की क्या जरूरत। आप परीक्षा से कहे कि मैने इतनी तैयारी की है, इतना पढ़ा हूं, तुम्हारी क्या बिसात। इस दौरान पीएम मोदी ने पुस्तक एग्जाम वॉरियर का भी जिक्र किया।
परीक्षा के दौरान भूलने की समस्या से कैसे बचें?
पीएम ने कहा कि ध्यान लगाना जरूरी है। ध्यान का मतलब योगा, हिमालय नहीं होता, इसे सरलता से स्वीकार करें। 99 फीसदी लोग यह नहीं बता सकते कि आज अखबार में क्या आया। वह जो भी पढ़ रहे हैं देख रहे हैं उनके दिमाग में नोट नहीं होता। प्रकृति की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। इसे जीना सीखना चाहिए। जीवन के विस्तार में मेमोरी सबसे अहम। इसका प्रयोग करना जरूरी। हिलते पानी में सिक्का सही से नहीं दिखता। मन भी ऐसे डोलता रहे और हम सोचे की सिक्का हमें दिखे तो यह आसान नहीं। मन को स्थिर करें, गहरी सांस ले। इसके बाद आप देखेंगे कि मेमोरी खुद वापस आ जाएगी।
समय का सदुपयोग कैसे करें?
सबसे पहले खुद में आदत डाले और पूछे की जितना हमने इनपुट दिया उसका क्या आऊटकम आया। जो कम पसंद है ज्यादा कठिन है उससे हम हमेशा बचने की कोशिश करते हैं। हमारे शरीर की तरह मन भी चीटर है। जो इसे पसंद आता है हम उधर ही चले जाते हैं। पीएम मोदी ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि जो श्रेयस्कर है उसकी तरफ जाना चाहिए। रात को पढूं, सुबह पढ़ूं यह केवल एक प्रवृत्ति है। हम किसमें कंफर्टेबल है, यह मायने रखता है।
कभी-कभी खुद का भी एग्जाम लें
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रीप्ले करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी। अनुभव को आत्मसात करने वाले रीप्ले बड़ी आसानी से कर लेते हैं, जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती।
बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें?
छात्र मे पूछा कि हम कॉलेज एडमिशन पर ध्यान दें या परीक्षा के नए पैटर्न पर या फिर बोर्ड परीक्षा पर? इस सवाल का जवाब देते हुए पीएम ने कहा कि जो भी हम पढ़ रहे हैं उसे पूरी तरह से आत्मसात करना जरूरी। अगर आपने अपनी शिक्षा पूरी तरह से आत्मसात की है तो परीक्षा का प्रारूप आपके लिए समस्या नहीं बनेगा।
प्रतियोगिता नहीं तो जिंदगी किस बात की
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि अगर प्रतियोगिता नहीं तो जिंदगी किस बात की। हमें प्रतियोगिता को आमंत्रित करना चाहिए। यह जीवन को आगे बढ़ाने का बेहतर माध्यम है। आप उस भाग्यवान पीढ़ी के हैं जिसे ज्यादा प्रतियोगिता और ज्यादा अवसर मिले हैं। पहले की पीढ़ी के पास में यह अवसर नहीं था।
ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं के विकास पर भी बोले पीएम
एक महिला अभिवावक की ओर से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं के विकास को लेकर सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि पहले से सोच में परिवर्तन आया है। पहले ऐसा बेटे को पढ़ाया जाता था और बेटियों के को ससुराल के भरोसे छोड़ दिया जाता था। अब भी कहीं-कहीं है। लेकिन बिना बेटियों के विकास के समाज का विकास नहीं हो सकता। समाज के भीतर बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं होना चाहिए। रानी अहिल्याबाई, रानी लक्ष्मीबाई और विदूषी ऐसी कई उदाहरण हैं। आज खेलकूद, विज्ञान, बोर्ड परीक्षाओं सभी में देश की लड़कियां कमाल कर रही है। यह समाज के लिए बड़ी शक्ति है।
बेटियों को दें समान अवसर
पीएम मोदी ने आगे कहा कि एक समय आएगा जब पुरूष जूलूस निकालेंगे की हमें शिक्षक भर्ती में आरक्षण दो। नर्सिंग, पुलिसिंग हर क्षेत्र में आज लड़कियां आगे रही है। समाज से मेरी अपील है कि बेटियों को समान अवसर दिया जाए। समान अवसर से अगर बेटा 19 करेगा तो बेटियां 20 करेंगी।
पर्यावरण को स्वच्छ और बेहतर कैसे बनाएं?
पीएम ने छात्रों के इस सवाल का स्वागत किया और कहा कि यह परीक्षा से जुड़ा विषय नहीं है। लेकिन परीक्षा के लिए जैसे बेहतर पर्यावरण की जरूरत है वेसै ही पृथ्वी कि लिए भी जरूरी है। पीएम मोदी ने देश के बच्चों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता की भावना को चार चांद लगाने का काम देश के बालक-बालिकाओं ने किया है। स्वच्छता का सबसे ज्यादा क्रेडिट उन्हें ही जाता है।
यूज एंड थ्रो कल्चर के बजाय री-यूज कल्चर को बढ़ावा दें
पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से परेशान है। हमें जो परमात्मा ने दिया हमने उसे बर्बाद कर दिया। आज हमारे लिए पेड़, पानी नदीं हमारे पूर्वजों के कारण हमें मिली हैं। हमे अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी अपना कर्तव्य और दायित्व निभाना है। यह कोई सरकारी नियम से नहीं होगा। अगर सभी बच्चे अपने घरों में सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद करा दें तो यह पर्यावरण के लिए बेहतर योगदान होगा। यूज एंड थ्रो कल्चर के बजाय री-यूज कल्चर को बढ़ावा देना होगा। हम जितने संसाधनों का प्रयोग करेंगे पर्यावरण को नुकसान होगा।