सुख की तलाश और इच्छा मृत्यु…????

सुख की तलाश और इच्छा मृत्यु…..
लेख…..

मध्यमवर्गीय जीवन पर आधारित……

लेखन-: 

धर्मेंद्र श्रीवास्तव….  .

मध्यम वर्गीय व्यक्ति का जीवन लालसा से भरा हुआ होता है

5 से 20 वर्षों तक शिक्षा उसके बाद नौकरी धंधे की तलाश, उधेड़बुन के चलते-चलते वैवाहिक परंपरा का निर्वाह…..

बच्चे, शैशव अवस्था के पश्चात …

उनकी पढ़ाई की चिंता,

इस दौरान अन्य छोटे-बड़े खर्चे इन सब की व्यवस्थाओं को करते करते आय और व्यय में संतुलन ना होने के कारण कर्ज के बोझ में,दब जाना,

कर्ज लिए रुपयों से अन्य खर्चों को पूर्ण करना और फिर से कर्ज की भरपाई करने में लग जाना……

सुखकी तलाश करते करते ….

भावनाओं का बढ़ जाना मकान हो जाए,

गाड़ी हो जाए,

बच्चों का अच्छा व्यवसाय या नौकरी हो जाए,

इन सभी इच्छाओं में रुचि का बढ़ जाना,

इन सभी कामनाओं को करते करते,

उम्र के छठे दशक में पहुंचना,,

कठिनाइयों का अंबार पर्वत के समान हो जाना,

शारीरिक व्याधियों का बढ़ जाना,

आंखों की रोशनी कम हो जाना,

कानों से कम सुनाई देना,

विभिन्न बीमारियों का शरीर में घर कर जाना,

किंतु??

इन सभी घटनाओं के घटने के बाद भी इच्छाओं में कमी ना, आना (सुखो की तलाश और इच्छा मृत्यु) से कम है, क्या….???