देश धर्म और संस्कृति रक्षार्थ,
संकलन-: धर्मेंद्र श्रीवास्तव…..🙏🙏
जाग जाओ अन्यथा पीढ़ियों को मौत के आगोश में सोना पड़ेगा…..
एक कहावत चरितार्थ कि,
सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने से क्या होगा,
किंतु यहां उपरोक्त बिंदु विचारणीय है,
देश की वर्तमान सरकार ने बहुत ही सशक्त निर्णय लिए हैं,,
देश के कई संगीन मामलों में उन निर्णयों का फायदा जमीन पर देखने को मिल भी रहा है,
किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में,
मैं बात कर रहा हूं,
सत्य सनातन धर्म में कुछ पाखंड पूर्ण भक्ति का,
हम सत्य सनातन धर्म के वेद और पुराण एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करते हैं,
तो हमें कहीं भी यह नहीं मिलता कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों का निर्माण कर गलियों और चौराहों पर बैठा कर उसकी गलत तरीके से ….
आराधना की जाए,
शराब पीकर चल समारोह में नृत्य किया जाए,
अभी गणपति की आराधना का समय जा चुका है,
सामने आ रहा है,
नवरात्र महोत्सव मेरा उन आचार्य और वैद् विशारद पंडितो से आह्वान कि,
वह सभी एकजुट होकर सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदू भक्तों को जागरूक करें,
धर्म ग्रंथों का हवाला देकर यह बताएं,
क्या गरबा पंडालों में फिल्मी गीतों को बजाकर मां की आराधना की जा सकती हैं।???????
और उसका फल भक्तों को सही रूप में मिल सकता है।
यदि कहीं वेद और पुराण में इसका वर्णन हैं,
तो आप उल्लेखित करें और भक्तों को इस कार्य को करने के लिए प्रेरित करें,
यदि ऐसा उल्लेख और वर्णन नहीं है,
तो उन्हें विनम्रता,
सादगी और साहस के साथ इस कार्य को न करने की मनाही करे,
तब जाकर आपका पांडित्य सत्य के धरातल पर साकार होगा, लाखों करोड़ों की संख्या में देश भर में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बड़ी बड़ी गणेश प्रतिमाएं बनाईऔर,
उन्हें पवित्र नदियों में विसर्जित किया गया,
सालों से पवित्र नदियों के गर्भ में पड़ी यह प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां जिन पर केमिकल युक्त कलर किया गया है।
साहसी गोताखोर बच्चों ने डुबकी लगाकर इन मूर्तियों को निकाला तो वर्षों पुरानी मूर्तियां आज भी वैसी की वैसी अवस्था मे प्राप्त हुई,
विज्ञान हमें बताता है ,
कि प्लास्टर ऑफ पेरिस और पॉलिथीन केमिकल से युक्त रंग पीड़िया समाप्त हो जाती हैं,
किंतु यह प्रकृति में उपस्थित रहकर प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं,
और पीढ़ियों तक समाप्त नहीं होते नष्ट नहीं होते,
आज इन्हीं कारणों की देन हैं,
कि मौसम परिवर्तन की ओर द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है।
और प्रकृति अपना संतुलन खो रही है…….
ठंड में गर्मी दिखाई दे रही है,
बारिश में गर्मी का पारा चढ़ा हुआ है,
प्रकृति का संतुलन पूर्ण रूप से बिगड़ चुका है,
और गलत धर्म आचरण से धर्म की दुर्गति हो रही है,
जिसमें कहीं न कहीं गुनाहगार आप हम सभी है,
धर्म मर्यादा और विज्ञान से बंधा हुआ है,
और इसका ज्ञान भक्तों को ज्ञानी विचारक धर्म ग्रंथों वेदों और पुराणों को पढ़ने वाले ब्रह्मा के पुत्र ब्राह्मण और कथावाचक ही दे सकते हैं……
मेरा आप सभी से करबद्ध आव्हान है,
कि आप धार्मिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों से भक्तों को जागरूक करें अन्यथा पीढ़ियों को सहेजने का कार्य समाप्ति की ओर अग्रसर हो जाएगा,
और एक समय ऐसा आएगा की प्रकृति जो विनाश लीला रचेगी…….
उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते……..
और हम भगवान शिव के तीसरे नेत्र को खुलने से नहीं रोक पाएंगे,
और यह सुंदर पृथ्वी और इसका प्राकृतिक स्वरूप नष्ट होने की कगार पर पहुंच जाएगा,
धर्म से संस्कृति , और संस्कृति मर्यादा युक्त होना चाहिए,
सत्य सनातन धर्म विज्ञान की कसौटी पर कसा हुआ है,
इस बात को कोई झुठला नहीं सकता,
किंतु कालांतर में इसके साथ किए जा रहे प्रयोग हमारे देश की संस्कृति धर्म और मानव जाति के लिए घातक हो सकते हैं, आह्वान आह्वान आह्वान,,,,
ज्ञानी…….🙏
मनीषी आप सब अपने मौन को तोड़कर,
चुप्पी को तोड़कर,
निकल कर बाहर आ जाइए,
सत्य का दर्शन, सत्य सनातन धर्म के अनुयायियों को करवा दीजिए,
मेरा आप सभी से पुनः पुनः आवाहन हैं,
अन्यथा सांप निकल जाएगा और ….
लाठी पीटने से कुछ नहीं होगा,
अभी समय है,
देश धर्म और संस्कृति को बचाने का,
जाग जाइए, जाग जाइए, जाग जाइए….
देश धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए हम सब को मिलकर आगे आना होगा चाहे कुछ समय के लिए हमें अपनों का विरोध क्यों ना झेलना पड़े।
सभी की आंखें खोल लीजिए अन्यथा देश और प्रकृति को नष्ट होने में देर नहीं लगेगी,
आदि अनादि सनातन संस्कृति समाप्त हो जाएगी।