होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन से लाखों लोगो कोरोना से बचे रहे

कोरोना नामक महामारी में पूरे विश्व को अक्टूबर 2019 से गहन परेशानी में डाल कर रखा हुआ है सारा विश्व इस महामारी से जूझने में लड़ने में और इसके प्रतिकार करने के उपायों में लगा हुआ है. हर देश में जान माल का नुकसान तो हुआ ही है आर्थिक क्षति भी हुई है. चिकित्सा की जितनी भी विधाएं हैं उसमें चिकित्सकों ने कोरोना से लड़ने के लिए जब दवाइयों की खोज करी तब यह पाया कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अगर अच्छी है तो हमारा शरीर कोरोना से लड़ने में सक्षम होता है जहां अंग्रेजी दवाइयों की फील्ड में वैक्सीन पर काम हुआ वही आयुर्वेद में तथा होम्योपैथी में प्रिवेंशन पर काम हुआ. होम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान का एक ऐसा अंग है जिसमें लक्षणों के आधार पर दवाइयां दी जाती हैं. आयुष मंत्रालय भारत में होम्योपैथिक दवाइयों को कोरोना के प्रिवेंशन तथा ट्रीटमेंट की अनुमति ती है. कोरोना की जो लक्षण है वह ब्लू इनफ्लुएंजा से काफी मिलते-जुलते हैं सर्दी खांसी बुखार गले में खराश यह सामान्यतः फ्लू तथा इनफ्लुएंजा यह सामान्य शब्दों में अप्पर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इनफेक्शन आरटीआई के लक्षणों के साथ फेफड़ों में होने वाली व्याधि है जिसमें फेफड़ों की ऑक्सीजन क्षमता प्रभावित होती है और मरीज की मृत्यु होती है (फाइब्रोसिस ऑफ  lungs).

देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग पूरे देश में होम्योपैथिक दवाइयों को कोरोना के प्रतिकार किया प्रिवेंशन के रूप में होम्योपैथिक चिकित्सकों सामाजिक संस्थाओं एवं नगर निगम तथा ग्राम पंचायतों द्वारा राजनीतिक दलों द्वारा निशुल्क बांटा गया और यह पाया गया कि जिन लोगों ने प्रिवेंशन के रूप में होम्योपैथिक दवाइयों का पूर्ण गंभीरतापूर्वक सेवन किया उनके करोना द्वारा प्रभावित होने की संख्या न्यूनतम रही यहां पर यह बहुत महत्वपूर्ण है कोमोरबिडिटी यानी अन्य व्याधियों द्वारा प्रभावित जैसे मधुमेह रक्तचाप कैंसर आदि के मरीजों में करोना होने की दर ज्यादा पाई गई. आपको याद होगा बजाज मोटर्स के एमडी राहुल बजाज वाला अपने कर्मचारियों को कैंपर वन एम नामक दवाई का निशुल्क वितरण किया गया था आयुष मंत्रालय द्वारा जिन दवाओं को मान्यता दी गई उनमें आर्सेनिक एल्बम कैंपर ब्रायोनिया है.

एक होम्योपैथिक चिकित्सक तथा होम्योपैथिक दवाइयों के व्यवसाय से जुड़े होने के नाते काफी मरीजों से चर्चा के आधार पर यह पाया कि उन्होंने पिछले डेढ़ वर्षो में सतत होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग चिकित्सकों की सलाह से लिया और अभी तक कोरोना से बचे हुए हैं या करो ना हुआ भी है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई अतः भारतीय परंपरा तथा वैकल्पिक चिकित्सा को इनमें आम आदमियों से लड़ने में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कोरोना नामक महामारी में प्रभावित होने वाले शरीर के अंग हैं उसमें फेफड़े हृदय लीवर तथा किडनी आर्सेनिक अल्ब जैसी दवाएं इन चारों अंगों पर बहुत अच्छा काम करती हैं और मरीज की संपूर्ण प्रतिरोधक क्षमता को इस बीमारी के खिलाफ बढ़ाती हैं और लड़ने में मदद करती हैं.

– Dr. Rajendra Bankura (9826125347)